- पूज्या गोमाता का इस भू - मण्डल पर अवतरण हमारे कल्याण के लिए हुआ है ।
- पूज्या गोमाता के अनुपम श्रीविग्रह से निरन्तर जीवनशक्ति का सृजन होता रहता है ।
3 - पूज्या गोमाता अहिंसा, करुणा, ममत्व, वात्सल्यादि , दिव्य, गुणों को पुष्ट करती है ।
5 - पूज्या गोमाता से ही देवों में देवत्व तथा मानवों में मानवता का निर्माण होता है ।
6 - पूज्या गोमाता अपनी कृपा शक्ति से पृथ्वी को सन्तुलित तथा पर्यावरण को शुद्ध रखती है ।
7 - पूज्या गोमाता अपनी उदारता से मानव को जीवनयापन हेतु शुद्ध दिव्य गव्य प्रदान करती है ।
8 - पूज्या गोमाता के स्नेह से मानव को स्वस्थ शरीर, पवित्र ह्दय तथा विवेक युक्त मस्तिष्क मिलता है ।
9 - पूज्या गोमाता की करुणा दृष्टि से जागतिकप्राणियों के समस्त दुःखों, संतापो का शमन होता है ।
10 - पूज्या गोमाता अपने अमोध अहिंसास्त्र के सदुपयोग से संसार के सभी प्राणियों को सुरक्षा प्रदान करती है
11 - पूज्या गोमाता की आत्मीयता रुपी शक्ति से जागतिक प्राणियों में अपनत्व का संचार होता है ।
12 - पूज्या गोमाता की वात्सल्यशक्ति से ही संसार की समस्त माताओं में मातृत्व का प्राकट्य होता है .
13 - पूज्या गोमाता अपनी अनुशान शक्ति से ही सृष्टि के समस्त प्राणियों को अनुशासन की शिक्षा देती है ।
14 - पूज्या गोमाता अपनी त्याग शक्ति से मानव को कर्तव्य पालन का पाठ पढ़ाती है ।
15 - पूज्या गोमाता अपनी सौम्यदृष्टि से संसार के अशान्त प्राणियों को शान्ति प्रदान करती है ।
16 - पूज्या गोमाता अपनी सौन्दर्य शक्ति से सम्पूर्ण विश्वजीवन को सुन्दरतम् बना देती है ।
17 - पूज्या गोमाता अपनी जाग्रत दृष्टि की दिव्य शक्ति से प्राणियों को समानता का वरदान प्रदान करती है ।
18 - गाय की सेवासे धर्म, अर्थ, काम ओर मोक्ष ये चारों पुरूषार्थ सिद्ध होते है ।
19 - गायकी रक्षासे मनुष्य, देवता, भूत - प्रेत, यक्ष - राक्षस , पशु - पक्षी , वृक्ष - घास आदि सबकी रक्षा होती हैं ।
20 - जो पुरुष गौओंकी सेवा ओर सब प्रकारसे उनका अनुगमन करता है, उसपर सन्तुष्ट होकर गौएँ उसे अत्यन्त दुर्लभवर प्रदान करती हैं ।
21 - गौओं का भय से मुक्त कर देने पर मनुष्य स्वयं भी भयों से मुक्त हो जाता है ।
22 - जो मनुष्य जितेन्द्रिय और प्रसन्नचित्त होकर नित्य गौओं की सेवा करता है, वह समृध्दि का भागी होता है ।
23 - रुणावस्था में गौओं को औषधि प्रदान करने से मनुष्य स्वयं भीसभी रोगों से मुक्त हो जाता है ।
24 - गौओंके चरनेके लिये गोचर भूमिकी व्यवस्था करके मनुष्य नि:स्नदेह अश्वमेधयज्ञ का फल प्राप्ति करता है ।
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